GST Tax Slabs Cut: Compliance Relief for Businesses 2025
जीएसटी काउंसिल ने कारोबार अनुपालन आसान करने के उपाय मंजूर किए: स्रोत
अपडेटेड: 03 सितंबर 2025
जीएसटी काउंसिल ने आज अपनी दो दिवसीय बैठक में कारोबारों के लिए अनुपालन को सरल बनाने के लिए महत्वपूर्ण उपायों को मंजूरी दी है। स्रोतों के अनुसार, टैक्स स्लैब रेशनलाइजेशन इस बैठक का प्रमुख एजेंडा था, जिसमें मौजूदा चार टैक्स स्लैब (5%, 12%, 18%, और 28%) को दो स्लैब (5% और 18%) में समेटने की योजना है। इसके सा8थ ही, एमएसएमई और स्टार्टअप्स के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को सरल करने और रिफंड प्रक्रिया को ऑटोमेटेड करने के उपाय भी शामिल हैं। यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेगा।
वर्तमान बाजार संदर्भ
जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद से भारत में कर संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में जीएसटी संग्रह 22.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 9.4% की वृद्धि दर्शाता है। अगस्त 2025 में, जीएसटी राजस्व 1.86 लाख करोड़ रुपये रहा, जो सालाना 6.5% की वृद्धि है।
हाल के रुझानों से पता चलता है कि जटिल अनुपालन प्रक्रियाओं के कारण एमएसएमई सेक्टर को 20% नुकसान हुआ है। सितंबर 2025 की बैठक में, काउंसिल ने टैक्स स्लैब को सरल करने पर ध्यान केंद्रित किया, जिसमें 99% वस्तुओं को 12% स्लैब से 5% में और 90% वस्तुओं को 28% स्लैब से 18% में स्थानांतरित करने की योजना है।
रिफंड प्रक्रिया में देरी ने निर्यातकों को 15% नुकसान पहुंचाया है। ऑटोमेटेड रिफंड सिस्टम इस समस्या को हल करेगा। एसबीआई रिसर्च के अनुसार, ये सुधार उपभोक्ता मांग को 5.31 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ा सकते हैं।
डिजिटल इनवॉइसिंग और बायोमेट्रिक आधारित आधार वेरिफिकेशन जैसे उपायों ने अनुपालन को और पारदर्शी बनाया है। यह व्यवसायों के लिए प्रक्रिया को और आसान बनाएगा।
इसके अतिरिक्त, जीएसटी पोर्टल पर प्री-फिल्ड रिटर्न की सुविधा ने छोटे व्यवसायों के लिए समय और लागत बचाई है, जिससे अनुपालन दर में 15% की वृद्धि हुई है।
यह क्यों महत्वपूर्ण है
ये सुधार छोटे और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए गेम-चेंजर साबित होंगे। अनुपालन लागत में 10-15% की कमी से कार्यशील पूंजी में सुधार होगा।
निवेशकों के लिए, सरल टैक्स संरचना कर विवादों को 30% तक कम करेगी, जिससे भारत में विदेशी निवेश, जो वर्तमान में 50 बिलियन डॉलर से अधिक है, और बढ़ेगा।
वैश्विक स्तर पर, भारत का जीएसटी मॉडल अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक उदाहरण बन सकता है, जिससे निर्यात में 20% की वृद्धि संभव है।
उपभोक्ताओं के लिए, आवश्यक वस्तुएं जैसे दवाइयां, खाखरा, और पनीर सस्ती होंगी, जिससे मध्यम वर्ग का जीवन स्तर सुधरेगा।
ये सुधार आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों को समर्थन देंगे और आर्थिक विकास को 8-9% तक बढ़ा सकते हैं, जैसा कि विशेषज्ञ अनुमानित करते हैं।
नवीनतम जीएसटी अपडेट्स के लिए अभी सब्सक्राइब करें!विशेषज्ञ विश्लेषण और भविष्यवाणियां
प्रमुख सुधार और परिदृश्य
- दो स्लैब संरचना: 5% और 18% स्लैब से अनुपालन सरल होगा। सिन गुड्स (जैसे तंबाकू, शराब) पर 40% स्लैब लागू हो सकता है।
- एमएसएमई राहत: रजिस्ट्रेशन समय को 30 से 15 दिन करने से 1 करोड़ से अधिक व्यवसाय लाभान्वित होंगे।
- ऑटोमेटेड रिफंड: निर्यातकों को 90 दिनों में रिफंड मिलेगा, जो वर्तमान प्रक्रिया से 50% तेज है।
- डिजिटल अनुपालन: प्री-फिल्ड रिटर्न और डिजिटल इनवॉइसिंग से त्रुटियां 20% कम होंगी।
- निर्यात प्रोत्साहन: जीएसटी रिफंड की गति बढ़ने से निर्यातक क्षेत्र, विशेष रूप से कपड़ा और रसायन, में 25% वृद्धि संभव है।
विशेषज्ञ भविष्यवाणियां
विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2026 तक जीएसटी संग्रह 2.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। हालांकि, कुछ राज्यों (जैसे पंजाब, तमिलनाडु) की मुआवजा मांग से कार्यान्वयन में देरी हो सकती है।
एफएमसीजी, ऑटोमोबाइल, और सीमेंट जैसे क्षेत्रों में कीमतें 10% तक कम हो सकती हैं, जिससे उपभोक्ता मांग में वृद्धि होगी।
स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और ऑनलाइन गेमिंग पर जीएसटी में कमी की भी संभावना है, जो मध्यम वर्ग और युवाओं के लिए राहत होगी।
कुल मिलाकर, ये सुधार भारत को वैश्विक व्यापार में और मजबूत बनाएंगे, खासकर दक्षिण एशियाई बाजारों में।
जोखिम और चेतावनियां
टैक्स स्लैब रेशनलाइजेशन से कुछ लक्जरी वस्तुओं पर टैक्स बढ़ सकता है, जिससे मुद्रास्फीति में 2-3% की वृद्धि हो सकती है।
विपक्षी शासित राज्यों (जैसे केरल, पश्चिम बंगाल) के विरोध से सुधारों में देरी संभव है, जिससे राजस्व हानि का अनुमान 50,000 करोड़ रुपये है।
ऑटोमेटेड रिफंड सिस्टम में तकनीकी गड़बड़ियां छोटे व्यवसायों को प्रभावित कर सकती हैं। व्यवसायों को सलाह दी जाती है कि वे कर विशेषज्ञों से परामर्श करें।
इसके अलावा, डिजिटल अनुपालन के लिए तकनीकी बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में।
निवेशकों को सुझाव है कि वे सुधारों के कार्यान्वयन पर नजर रखें, क्योंकि प्रारंभिक चरण में अनुपालन त्रुटियां जुर्माना आकर्षित कर सकती हैं।
भविष्य का परिदृश्य
सितंबर 2025 के बाद, जीएसटी 2.0 को अक्टूबर 2025 से लागू करने की योजना है, जो 2026 तक पूर्ण रूप लेगी। इससे राज्यों को 14.1 लाख करोड़ रुपये का राजस्व लाभ होगा।
डिजिटल अनुपालन और प्री-फिल्ड रिटर्न से अनुपालन दर 25% बढ़ सकती है, जिससे भारत वैश्विक व्यापार में और मजबूत होगा।
2025-26 में, जीएसटी सुधारों से अर्थव्यवस्था में 9% की वृद्धि संभव है, जो आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों को समर्थन देगी।
लंबे समय में, ये सुधार भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी बनाएंगे, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और कपड़ा निर्यात में।
निष्कर्ष
जीएसटी काउंसिल के ये निर्णय कारोबारों को नई गति देंगे और भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे। ताजा प्राइम खबर के साथ हर पल की ताज़ा खबर पाएं। आप तक हर पल की ताज़ा खबर – https://tazaprimekhabar.com।
और पढ़ें: जीएसटी सुधारों की पूरी जानकारी!डिस्क्लेमर
यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है और इसे कर सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। पाठकों को अपनी स्थिति के लिए पेशेवर सलाह लेनी चाहिए। ताजा प्राइम खबर किसी भी निर्णय के लिए जिम्मेदार नहीं है।