“बच्चों की जान गई जहरीली कफ सिरप से! सरकार ने उठाया बड़ा कदम, जानिए सच!”
“बच्चों की जान गई जहरीली कफ सिरप से! सरकार ने उठाया बड़ा कदम, जानिए सच!”
Updated: 5 अक्टूबर 2025
मध्य प्रदेश और राजस्थान में जहरीली कफ सिरप देने के बाद 5 साल से कम उम्र के कम से कम 9 बच्चों की मौत ने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय, केंद्र और राज्य एजेंसियाँ मिलकर इस दर्दनाक घटना की जांच में जुटी हैं। ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोल्ड्रिफ नामक कफ सिरप में जहरीली केमिकल की अत्यधिक मौजूदगी सामने आई है, जिससे बच्चों का किडनी फेलियर और मौत हुई। यह घटना भारत में दवा सुरक्षा और क्वालिटी पर बड़ा सवाल उठा रही है।
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डिटेल्ड अपडेट / वर्तमान परिप्रेक्ष्य
- मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और राजस्थान के चूरू-भरतपुर जिलों में सितंबर से अब तक 9 बच्चों की कथित तौर पर जहरीली कफ सिरप के कारण मौत हो गई।
- राज्य प्रशासन ने ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप को संदिग्ध मानते हुए पूरे मध्य प्रदेश में इस कंपनी के सभी प्रोडक्ट्स को बैन कर दिया।
- सैंपल जांच में डायएथिलीन ग्लाइकॉल नामक केमिकल की मात्रा सामान्य से सैकड़ों गुना अधिक पाई गई, जो बच्चों के लिए घातक साबित हुआ।
- केंद्र सरकार ने हेल्थ व ड्रग कंट्रोल अधिकारियों की सभी राज्यों के साथ हाई-लेवल मीटिंग बुलाई और क्वालिटी चेक सख्ती से लागू करने का आदेश दिया।
- स्वास्थ्य विभाग ने दवा कंपनियों की यूनिट्स की सख्त जांच शुरू कर दी है, खासकर उन राज्यों में जहां खांसी की दवाओं के सैंपल भेजे गए थे।
हाइलाइट्स / मौतों का स्कोरबोर्ड
राज्य | मृत बच्चों की संख्या | संभावित सिरप | कार्रवाई |
---|---|---|---|
मध्य प्रदेश | 6–9 | Coldrif Cough Syrup | सिरप व कंपनी बैन, डॉक्टर गिरफ्तार |
राजस्थान | 2–3 | Coldrif/Dextromethorphan | डॉक्टर जांच में, सिरप प्रतिबंधित |
अन्य राज्य | 1+ | जाँच जारी | रिस्क बेस्ड निरीक्षण |
कोल्ड्रिफ सिरप निर्माता श्रीसन फार्मा के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है, और तमिलनाडु, गुजरात, हिमाचल में भी संबंधित सिरप की जांच हो रही है।
Expert Analysis & Predictions
एक्सपर्ट्स की राय
- शिशुओं को OTC कफ सिरप देना जोखिम भरा—केवल चिकित्सकीय सलाह पर ही दें।
- डायएथिलीन ग्लाइकोल की अधिकता से तुरंत किडनी फेलियर हो सकता है।
- दवा की क्वालिटी टेस्टिंग और सैंपलिंग भारत के सभी राज्यों में और कड़ी होनी चाहिए।
- ब्रांडेड दवाओं और जेनरिक्स दोनों में समान स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित हो।
- बच्चों के लिए दवाओं का अलग सुरक्षा प्रोटोकॉल बने, नियमित ऑडिट हो।
क्या हो सकता है आगे
- देशभर में कफ सिरप और बच्चों की दवाओं की इमरजेंसी-लेवल क्वालिटी ऑडिट।
- हेल्थ मंत्रालय द्वारा एक नया दिशानिर्देश और एडवायजरी जारी; बच्चों को कफ सिरप न दें।
- दवा निर्माताओं पर सख्त पेनल्टी व लाइसेंस सस्पेंशन की कार्रवाई।
- मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन सिस्टम की मजबूती और निगरानी बढ़ेगी।
- WHO व इंटरनेशनल रेगुलेशन के हिसाब से नियम अपनाने की संभावना।
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चुनौतियाँ
भारत में छोटे शहरों-दूरदराज इलाकों में दवाओं की गुणवत्ता की जांच व निगरानी संसाधन, कर्मियों की कमी और भ्रष्टाचार के कारण बहुत मुश्किल है।
• बच्चों की मौत के मामले में फॉरेंसिक/केमिकल एनालिसिस समय पर उपलब्ध नहीं हो पाता।
• OTC दवाओं की ब्रिकी और विज्ञापन की आसान उपलब्धता।
• डॉक्टरों द्वारा बिना पूरी जांच के सिरप लिखना।
• ड्रग कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन की सक्षम नेटवर्किंग और डेटा बेसिंग आवश्यकता।
आने वाला समय / Future Outlook (अक्टूबर 2025)
- सरकारी ऑडिट और जांच के पूरे अक्टूबर-नवंबर तक जारी रहने की संभावना।
- दवा कंपनियों के मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस, सप्लाई चेन और बिक्री पर सख्त निगरानी।
- उपभोक्ताओं के लिए सूचना अभियान चलेंगे—खासतौर पर बच्चों को ओवर-द-काउंटर दवा न देने की चेतावनी।
- ऑनलाइन कंसल्टेशन और टेलीहेल्थ सहायता बढ़ाई जाएँगी।
- अंतरराष्ट्रीय रेगुलेशन और WHO की गाइडलाइंस के अनुरूप नए कानून/संशोधन संभव।
मुख्य बातें
TAZA PRIME KHABAR रिपोर्ट के अनुसार MP व राजस्थान में बच्चों की मौतें दवा क्वालिटी एवं नियमन पर फिर से सवाल खड़े कर रही हैं। आमजन को स्वास्थ्य अलर्ट और डॉक्टर की सलाह बेहद जरूरी है।
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