सुप्रीम कोर्ट में सियासी तूफान: अनिरुद्धाचार्य-अजीत भारती के खिलाफ आपराधिक अवमानना का हल्ला, जानिए क्या होगा आगे!
सुप्रीम कोर्ट में सियासी तूफान: अनिरुद्धाचार्य-अजीत भारती के खिलाफ आपराधिक अवमानना का हल्ला, जानिए क्या होगा आगे! (अक्टूबर 2025)
मिशन अंबेडकर संस्थापक ने AG से मांगी कड़ी कार्रवाई, सुप्रीम कोर्ट में हलचल
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नई दिल्ली, 7 अक्टूबर 2025 — सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के विरुद्ध भड़काऊ व विवादित टिप्पणियों के मामले में धार्मिक प्रवचनकर्ता अनिरुद्धाचार्य और यूट्यूबर अजीत भारती पर आपराधिक अवमानना की कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है। मिशन अंबेडकर के संस्थापक सुरज कुमार बौद्ध ने सोमवार को अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि को पत्र लिखकर इन दोनों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही की स्वीकृति मांगी है। यह पूरा घटनाक्रम अदालत की गरिमा और स्वतंत्रता की रक्षा संबंधी गंभीर बहस को जन्म दे रहा है।
मुख्य बातें | TAZA PRIME KHABAR
मामले में AG से अनुमति मांगी गई। सोशल मीडिया पर वायरल टिप्पणियाँ और सुप्रीम कोर्ट में अप्रत्याशित विवाद। कोर्ट की स्वतंत्रता पर चिंता गहराई।
पत्र के मुताबिक, 21 सितंबर 2025 को अनिरुद्धाचार्य द्वारा एक भावुक वीडियो प्रकाशित किया गया था, जिसमें उन्होंने CJI गवई को सीधे धमकी देते हुए कहा—“अगर अपना सीना चिरवाना है तो बताइए।” इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर भारी विवाद और बहस को जन्म दिया। खास बात है कि अनिरुद्धाचार्य ‘Bigg Boss’ के भी पूर्व प्रतिभागी रहे हैं, जिनका सामाजिक प्रभाव और विवादों से संबंध पुराना रहा है।
इस घटनाक्रम के दौरान, यूट्यूबर अजीत भारती ने सर्वोच्च न्यायालय के जजों पर आपत्तिजनक टिप्पणी वीडियो और सोशल पोस्ट्स में दर्ज की। बौद्ध के पत्र में जोर देकर कहा गया है—ऐसी टिप्पणियाँ सुप्रीम कोर्ट के सम्मान और भारत की न्यायिक प्रणाली की स्वतंत्रता को संकट में डालती हैं। सोशल मीडिया पर बरसते बयान और लाइव प्रतिक्रियाएँ मामले को और गंभीर बना रहे हैं।
यह मामला तब और बढ़ा जब सुप्रीम कोर्ट के भीतर एक वरिष्ठ वकील ने कथित CJI विरोधी बयान के चलते कोर्टरूम में जूता फेंकने की कोशिश की। इससे देशभर में आक्रोश फैला और बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने संबंधित वकील का लाइसेंस तुरंत निलंबित कर दिया। कोर्ट की सुरक्षा पर उठे सवालों के साथ यह बहस देशव्यापी बन गई।
मामले की जड़ एक विवादित टिप्पणी है, जो सितंबर में जावरी मंदिर (खजुराहो) के भगवान विष्णु मूर्ति संबंधी याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आई थी। CJI गवई ने टिप्पणी की थी: “यह पुरातत्त्व विभाग के अधीन है—आप देवी से प्रार्थना करें।” हालांकि CJI ने जल्द ही स्पष्ट किया की उनका उद्देश्य किसी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं था।
इसमें नया मोड़ तब आया जब नोएडा पुलिस ने अजीत भारती से पुलिस थाने में पूछताछ की। पूरी कार्रवाई अभी शुरुआती दौर में है और AG की अनुमति के बाद ही आदेशात्मक कार्रवाई संभव है। कानूनी विश्लेषकों का कहना है कि यदि ऐसे प्रकरणों में कठोरता नहीं बरती गई, तो न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर गंभीर खतरा मंडरा सकता है।
मिशन अंबेडकर संस्था के पत्र में अंतिम रूप से दोहराया गया—कोई भी व्यक्ति, चाहे उसकी सामाजिक स्थिति या प्रभाव कितना भी क्यों न हो, सुप्रीम कोर्ट के सम्मान और न्यायाधीशों की स्वतंत्रता पर हमला नहीं कर सकता। अब पूरे देश की निगाहें मुख्य न्यायाधीश और AG के निर्णय की ओर लगी हैं।
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